डॉ. अंबेडकर द्वारा लिखित किताब, जो न केवल अछूतों के संदर्भ में गांधीवाद की भ्रांतियों को उजागर करता है, बल्कि करोड़ों देशवासियों की हृदयविदारक स्थिति का भी चित्रण करता है, जिन्हें पीढ़ियों से जाति/वर्ण आधारित पाखंडी और भ्रामक सत्ता व अधिकार के विस्तार के कारण दबाया गया है।
उनकी यह कहानी कहे जाने योग्य है, और अंबेडकर की लेखनी इस पीड़ा को सहने की शक्ति रखती है। इस दर्द से गुजरकर वे सशक्त और निर्भीक बने, ताकि हर प्रकार की असमानता पर प्रहार कर सकें। हम इस महान व्यक्ति के प्रति अत्यधिक ऋणी हैं, जिन्होंने स्वतंत्र भारत के संविधान की नींव रखकर अपनी दूरदृष्टि और ज्ञान को प्रदर्शित किया। यह एक पीड़ादायक किताब लेकिन अनिवार्य रूप से पढ़े जाने योग्य रचना है।