भारत के सच्चे इतिहास और भूगोल को समझने के लिए यह पुस्तक अमूल्य है। सर मेजर जनरल अलेक्ज़ेंडर कनिंघम ने ह्वेनसांग और फाह्यान जैसे यात्रियों के प्राचीन दस्तावेज़ों के आधार पर भारत के मौर्यकालीन और बौद्धकालीन स्थलों का गहन अध्ययन किया है। यह कृति प्राचीन भारत के भूगोल, नदियों, नगरों और व्यापार मार्गों का सजीव चित्र प्रस्तुत करती है जो हर शोधकर्ता, विद्यार्थी और भारत के अतीत को समझने वाले पाठक के लिए अत्यंत उपयोगी है।
इतिहास के इस दुर्लभ अध्याय को अपनी संग्रह में शामिल करने का यह सुनहरा अवसर है। यह पुस्तक बिल्कुल नई है, जिसका हिंदी अनुवाद मुलनिवासी ई-बुक्स द्वारा प्रकाशित किया गया है। मूल रूप से 1871 में प्रकाशित इस संस्करण में कुल 343 पृष्ठ हैं और इसमें उच्च गुणवत्ता वाले 65 GSM पेपर का उपयोग किया गया है। पुस्तक का आकार A5 (15 x 3 x 21) सेंटीमीटर है और वजन लगभग 400 ग्राम है। हर प्रति को श्रिंक रैप और पॉलीबैग में सुरक्षित पैक किया गया है ताकि आपको सर्वोत्तम स्थिति में यह मूल्यवान पुस्तक प्राप्त हो सके।