प्रबुद्ध और करुणामयी बुद्ध ने समय-समय पर कुछ विशिष्ट प्रवचन दिए, जो संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली थे। उन्होंने भाग्यशाली शिष्यों को उनके स्वभाव और प्रवृत्ति के अनुसार शिक्षाएं दीं, साथ ही समय, स्थान और संदर्भ का भी ध्यान रखा। इन प्रवचनों को बाद में उच्च कोटि के विद्वानों द्वारा एकत्रित कर एक ग्रंथ के रूप में संकलित किया गया, जिसे व्यापक रूप से 'धम्मपद' के नाम से जाना जाता है।
बुद्ध के वचनों के असंख्य ग्रंथों में, धम्मपद विशेष रूप से उल्लेखनीय है, न केवल बौद्ध धर्म के विभिन्न परिपथों द्वारा इसकी व्यापक स्वीकृति के कारण, बल्कि इसकी व्यावहारिक लंबाई और बोधगम्य शिक्षाओं के कारण भी। इसे सभी साधकों द्वारा—चाहे वे प्रारंभिक हों या उन्नत—अध्ययन और मनन के लिए अपनाया जा सकता है। इस ग्रंथ के नवीनतम संस्करण को आचार्य वांगचुक दोरजी नेगी द्वारा प्रस्तुत किया गया है। मुझे पूरा विश्वास है कि यह संस्करण लोगों तक बौद्ध शिक्षाओं को पहुँचाने में अपनी अद्भुत और निरंतर सेवा जारी रखेगा।
- लेखक : डॉ० वडछुग दोर्जे नेगी
- प्रकाशन : मुलनिवासी ई-बुक्स
- अनुवाद भाषा : हिंदी
- पुस्तक का प्रकार: पीडीएफ