डॉ. अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म के उदय को सामाजिक क्रांति के रूप में देखा और ब्राह्मणों द्वारा प्रतिक्रांति का मार्ग प्रशस्त किए जाने की चर्चा की। यह पुस्तक उन विचारों और विश्लेषणों का संग्रह है जो आज भी अत्यंत प्रासंगिक हैं। इस डिजिटल संस्करण में यह पुस्तक 332 पृष्ठ की है और PDF फॉर्मेट में उपलब्ध है। खरीदारी के तुरंत बाद इसे इंस्टेंट डाउनलोड किया जा सकता है और ईमेल पर एक कॉपी भी प्राप्त की जा सकती है।